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Friday, September 4, 2009

इक हँसी संग लाना ............

अपने गम से मुरझाये हुए चेहरे को
दूर कही ले जाकर मेरी नजरो से
तकिये पर रख सर, चादर से ढक कर
लोचन से लरजते, अश्को कि दरिया से,
चेहरे पे चिपके गमों को बहा देना
फिर तुम आना, इक हँसी संग लाना.................................
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बहुत ही जल्द मेरी यह स्वरचित रचना अपने पूर्ण रूप में आपके सामने होगी ........................