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Tuesday, August 16, 2016

हिन्दी, विश्व सिंहासन पर

हिन्दी, विश्व सिंहासन पर ..... इस कविता को राजभाषा विभाग, जोनल मुख्यालय ने दिसंबर 2015 मे प्रकाशित अपनी पत्रिका "प्रगति पथ" मे पहले पृष्ठ पर प्रकाशित की थी.  राजभाषा विभाग,  को इस उत्साहवर्धन हेतु तहे दिल से आभार.   कविता का पाठ नराकास द्वारा आयोजित हिन्दी काव्य पाठ प्रतियोगिता दिनांक 11-08-2016 मे किया गया....
(नोट - अंतिम से पाँचवी पंक्ति मे   "ज्योति एक प्रज्वाल कर" पढ़े. ) 

न रा का स की हिन्दी काव्य प्रतियोगिता

नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा दिनांक ११-०८-२०१६ को आयोजित हिन्दी काव्य पाठ प्रतियोगिता की एक झलक. 

न रा का स की हिन्दी काव्य प्रतियोगिता

नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा दिनांक ११-०८-२०१६ को हिन्दी काव्य पाठ प्रतियोगिता का सफल आयोजन किया गया. पूरे 45 कार्यालयों के प्रतिनिधि प्रतिभागियों ने इसमे उत्साहपूर्वक भाग लिया. कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ पेश है :
निर्णायक गण

अभि
प्रतिभागी 

निर्णायक गण- बायें से दायें- १. श्री कपूर वासनिक, वारिष्ठ साहित्यकार, २. श्री राजेंद्र मौर्य, वरिष्ठ साहित्यकार ३. श्री अनिल एस. रामटेके, अध्यक्ष, रेलवे भर्ती बोर्ड  एवं आयोजक गण- बायें से दायें- ४. श्री विक्रम सिंह, सचिव, नराकास  एवं वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी, ५.श्री दीपक शंखवार, राजभाषा अधिकारी


Monday, August 15, 2016

नर हो ना निराश करो मन को

कितनी सुंदर पंक्तिया है... सच मे आप जितनी बार पढ़ेंगे ..एक नया अर्थ पायेंगे....चार पंक्तिया एक बार फिर से पढ़ ले :

Sunday, August 14, 2016

ऐसा ना हो

कविता रचना की तिथि-17-11-2001

Tuesday, September 20, 2011

एक बार फिर से.......

बहुत दिनों के बाद हम फिर आप के साथ है, अभि-वाणी से आपके मन को झकझोरने...........

Friday, September 4, 2009

इक हँसी संग लाना ............

अपने गम से मुरझाये हुए चेहरे को
दूर कही ले जाकर मेरी नजरो से
तकिये पर रख सर, चादर से ढक कर
लोचन से लरजते, अश्को कि दरिया से,
चेहरे पे चिपके गमों को बहा देना
फिर तुम आना, इक हँसी संग लाना.................................
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बहुत ही जल्द मेरी यह स्वरचित रचना अपने पूर्ण रूप में आपके सामने होगी ........................